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सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

नोबेल पुरस्कार 2013 भारत को


सन 2013, नोबेल पुरस्कारों की घोषणा का महीना चल रहा था. भौतिकी, रसायन शास्त्र, चिकित्सा इत्यादि में मिले नाम विश्व-पटल पर चुके थे. एक दिन अर्थशास्त्र के नाम की उद्घोषणा भी हो गयी.
कल
रात के 12 बजनेवाले थे. दिन भर की थकान के बाद हमारे श्री सुनसोहन सिंह जी सोने की तैयारी में जुटे थे. बिस्तर पर गये ज्यादा देर भी हुई थी कि दूरभाष यंत्र ने बांग लगा दी. अनमने हो उठे तो पाया कि सचिव महोदय फोन पर थे. कहा कि ओबामा जी लाइन पे बने हैं.
हदकरी जी अभी-अभी लौटे थे. अजपा(आर्यावर्त जनता पार्टी ) की वार्षिक राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक थी. अधिक करमुक्त सम्पत्ति के मामले में फँसे बाबा कामदेव को समर्थन देते रहने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था. समाचार देखने के लिये टी वी. चालू किया. ब्रेकिंग न्यूज़ थी.
बाबा कामदेव थोड़े मोटे हो गये थे. योग और भोग का तारतम्य थोड़ा गड़बड़ा गया था. चिंता ने गीता का स्थान ग्रहण कर लिया था. सी.बी.आइ. की सर्पकुंडली में फँसे बाबा का डंसे जाना अब वक्त दो वक्त की ही बात थी. अचानक स्वामी कालतृष्ण की आवाज आई.
नृपेंद्र धोदी तीसरी बार चुनाव जीत चुके थे. कल उन्हें दूसरे प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिये जाना था, शायद इसलिये सवेरे ही निद्रा के अंक में समा चुके थे.
कोमलयम और कायावती के समर्थकों में आज मार-पीट हो गयी थी. आरोपों-प्रत्यारोपों के दैविक दौर के बाद दोनों अपने-अपने शयन कक्ष में जा चुके थे. दोनों की सी.बी.आइ. वाली चिरंतन समस्या का तात्कालिक समाधान केन्द्र सरकार ने कर दिया था. अतः समय काटने चर्चा में बने रहने के लिये ये दैविक दौर वक्त की माँग बन गये थे.
तमता सरजी ने कंगाल प्रदेश में कार्टून अधिनियम लागू कर दिया था. एफ.डी.आइ. के मसले पर बुरी तरह मात खाने के बाद फिलहाल किसी मुद्दे की तलाश में थी.
आतिश कुमार जी सुखाड़ प्रदेश पर वर्ल्ड बैंक की सुप्रचारित टिप्पणी से आजकल बहुत खुश चल रहे थे क़ि उनके आवास स्थल पर कूड़ा डालने की घटना ने उनका मन उद्वेलित कर दिया. धोदी जी पर वो जरा और तीक्ष्ण हो गये थे, जिसके कारण यदा-कदा आजपा की ओर से भी जबाब मिलने लगे थे.
आग लागरे ने सरेआम सुखाड़ प्रदेश को मरुस्थल की संज्ञा दे डाली थी और कहा था कि मरुस्थली कांटे को ज्वारभाटा प्रदेश से निकाल फेंको. भाषाओं का समन्वय भी अच्छा रहा जब हिन्दी मीडिया ने आग जी के अपने पर तोहमत लगाने वाले मराठी संवाद को जी भर कर दिखाया
करुणाबधी और गरलगलिता के चिरपरिचित चिरंतन खेल चालू थे. विगत आद्रा सास मुनिया के प्रताप से अब राज्य सभा की शोभा बढ़ा रहे थे. बाहुल आंधी, साले साहब अभी भी युवा दल के नेता बने हुये थे.
बजरिवाल अभी भी जागे हुये थे. कल स्वयं अन्ना की पोल खोलने का दावा किया था, जिससे समस्त राजनीतिक दलों में खुशी का माहौल बन पड़ा था. विगत एक साल में कइयों की पोल खोलनेवाले बजरिवाल किसी को भी सजा दिला पाये थे.
 अन्ना ने मौन व्रत रखा हुआ था
आज सुबह
सुबह उठते ही सुनसोहन सिंह जी ने अपने सचिव को झाड लगाई कि कुछ भी पता नहीं रखते हो. खैर अब सारे देश को पता चल चुका था. पुरस्कार विश्व स्तर पर बढ़ती मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिये सिंह साहब द्वारा प्रस्तुत एक फॉर्मूले पर दिया गया था. फॉर्मूले की संकल्पना थोड़ी पुरानी थी, पर सही समय पर सही प्रस्तुति और उपयोगिता ने इसे प्रकाश में ला दिया. जी हाँ यह फॉर्मूला था भ्रष्टाचार का जिसने मुद्रास्फीति के दौरान रुपये की बढी मात्रा को सिर्फ सीमित किया , अपितु रुपये की उर्घ्वगामी गतिशीलता को मँहगाई के सानिध्य में फिर से बाज़ार में उतार दिया. विश्वव्यापी मंदी जिसने कुछ सालों पहले भारत में भी स्थान बनाया था, इस ब्रम्हास्त्र को सह पायी. भ्रष्ट्राचार का यह बाज़ार-नियन्तक स्वरूप इससे पहले अंजाना था.
हमारे बिगविजय सिंह जी ने प्रेस में बयान दे डाला. उन्होने एक 1000 वर्ष पुराने ग्रंथ भ्रष्टाचार शास्त्र से कुछ श्लोक उधृत करते हुये कहा कि सुनसोहन जी ने पृष्ठ संख्या 45-46 से इसकी प्रेरणा ली है. किताब आउट ऑफ स्टॉक हो गई.
आजपा ने सुनसोहन जी को बधाई दी पर साथ में यह भी कहा कि इसका श्रेय सिर्फ वो लें, हमारा भी इसमें योगदान है. शायद हदकरी जी को डर लग रहा था कि कहीं रॉंगरेस पार्टी इसका फायदा आसन्न चुनाव में उठा ले. धोदी जी ने इसे आलूमार्ट कंपनी का षड्यंत्र बताया. कमलायम जी और कायावती जी ने हमेशा की तरह मुख सामने और अंगुली पीछे इंगित करते हुये कहा कि हम आपका विरोध करते हैं. वामपंथिओं ने पुरस्कार की राशि को भारत में विदेशी पूँजी का आगमन बताया और कहा कि हम किसी भी तरह की विदेशी पूँजी का भारत में प्रवेश का विरोध करते हैं. कालू कालव जी ने आतिश कुमार जी की तरह सुखसोहन जी को बधाइयाँ दी और सुखाड़ सूबे पर भी अपनी दृष्टि फिराने का आग्रह किया. आग लागरे जी को इन सब बातों से कोई मतलब नहीं था और उनका पुराना रेडिओ अब भी चालू था. करुणाबधी गरलगलिता भी अपनी ही दुनिया में मगन थे.
कामदेव बाबा ने रात को ही बिगविजय सिंह जी के माध्यम से ही रॉंगरेस आलाकमान तक बधाई रूपी डिब्बे में अपनी वेदना पहुँचा दी थी. बजरिवाल ने बयान दिया कि यह पुरस्कार गलत हाथों को दिया गया है और इस बात के लिये वो स्विट्ज़र्लॅंड स्थित न्यायालय जायेंगे. भसीम त्रिवेदी के कार्टून इसबार अल्फ्रेड नोबेल के उपर बने हैं. तमता सरजी ने इस बार बजरिवाल का साथ देने का फैसला किया.
देशी विदेशी दोनों मीडिया ने इसे भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया और सुनसोहन सिंह जी को सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री.
अन्ना का मौन व्रत अभी भी चल रहा था. 

कुछ दिन बाद
सुनसोहन सिंह जी ने पुरस्कार ग्रहण किया. रॉंगरेस पार्टी ने इसी बात को मुद्दा बना कर चुनाव लड़ा. पर हार गई. आजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ सत्ता ग्रहण की.
कामदेव बाबा भी जीतकर संसद पहुंचे. उन्होने खुलेआम घोषणा की कि वो कोई पद नहीं लेंगे. इसके एवज में नयी सरकार ने उनकी श्रद्धांजलि केन्द्र को फिर से कर में रियायतें प्रदान कर दीं. 
सुनसोहन सिंह जी को सर्वश्रेष्ठ सम्मान आर्यावर्त रत्न प्रदान किया गया. सुना जाता है कि धर्मवाणी जी ने उनकी अनुशंसा की थी. बजरिवाल अब भी लोकपाल के लिये लड रहा है. भारत अगेन्स्ट करप्षन पर लगा प्रतिबंध जो कि पिछली सरकार ने लगाया था, अब भी नहीं उठा है. भसीम त्रिवेदी आजकल रिलिटी शो में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
अन्ना का मौन व्रत अभी भी चल रहा है.
 नोट- किसी भी जीवित या मृत से इस लेख की समानता मात्र एक संयोग कही जायेगी.

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