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शुक्रवार, 24 मार्च 2017

हर्बर्ट स्पेंसर


हर्बर्ट स्पेंसर को अपने "सर्वाइवल ऑफ़ द फिटेस्ट" कांसेप्ट के लिए जाना जाता है। डार्विन को इस बात से बल मिला। यह थ्योरी इनके द्वारा लिखित "प्रिंसिपल्स ऑफ़ बायोलॉजी" से ग्रहण की गई है । 
पर इसी किताब में इन्होंने यह भी लिखा है कि "फ्लैट-चेस्टेड गर्ल्स" जिनपर शिक्षा का अत्यधिक दबाब पड़ता है, उत्तम कोटि के शिशुओं को धारण करने और उनको फीड करने में असमर्थ रहती हैं। 
यहाँ दोनों कथनों को एक दूसरे के विरुद्ध रखने की कोशिश नहीं की है। यह भी ज्ञात है कि सही धारणा बाद में धीरे धीरे आई। सवाल यह है कि "सर्वाइवल ऑफ़ द फिटेस्ट( नेचुरल सिलेक्शन)" और "फ्लैट-..." वाली "साइंटिफिकली प्रूव्ड" बातों में सोसाइटी ने किसे आसानी से जन्म दिया या ग्रहण किया होगा - साइंस के नाम पर ? 
साइंस कल भी एक कल्चरल प्रोडक्ट था और आज भी है। साइंटिफिक टेम्पर के नाम पर कुछ भी स्वीकार कर लेना कहीं से भी साइंटिफिक नहीं। जरुरी नहीं कि हम जिसे साइंस समझते हों, वह साइंस ही हो।

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