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शुक्रवार, 24 मार्च 2017

आइडियोलॉजी


आज उस ऐतिहासिक नरम दल के सापेक्ष सभी अनायास ही खड़े हैं क्योंकि सिर्फ चुनावी राजनीति पर विश्वास नरम दलीय ही बनाता है। अपने आइकॉन बनाने की छूट तो हर काल में थी। भले अपने आइकॉन गरम दल वालों को बना लें, आज उस समय के हिसाब से हर दल नरम दलीय है। 
अम्बेडकर ने तो किसी भी प्रकार के "गैर-लोकतान्त्रिक" मार्ग को अपने संविधान सभा के अंतिम भाषण में अनुचित बताया था । पर यह गैर-लोकतान्त्रिक मार्ग क्या हो सकता है, इसपर चर्चा न हुई कभी। वह सत्याग्रह "और" पैसिव रेजिस्टेंस को भी अनुचित बताते हैं, हिंसक मार्ग तो अनुचित हैं ही। यह लिबरल आइडियोलॉजी थी, शायद जे एस मिल की। 
कोई पार्टी इस लाइन को क्रॉस नहीं कर सकी है। लोग करते हैं। वह "नरम दलीयों", जो सभी हैं, द्वारा एंटी नेशनल ही घोषित होंगे। हाँ, शांत, बिना हिंसा के हुआ प्रतिरोध भी। 
संकेत किधर है, समझना आसान है। इस देश में शान्त, अहिंसक प्रतिरोध भी आपको देशद्रोही बना सकता है यदि वह संसद या न्यायालय के माध्यम से न हो। संसद और जुडिशरी की अतिप्रभावशाली प्रणाली से सभी वाकिफ हैं ही !! चुप रहना ही बेहतर है। 
जो लोग लिबरलिस्म का विरोध करते दिखते हैं , दरअसल वह स्वयं लिबरल के एक प्रारूप हैं। उनको पता नहीं चलता।

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